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देख रहे हो विनोद…! तेंदुलकर संग चमके, क्रिकेट-सिनेमा-सियासत सबमें आजमाया हाथ, तो अब क्यों मोहताज

देख रहे हो विनोद...! तेंदुलकर संग चमके, क्रिकेट-सिनेमा-सियासत सबमें आजमाया हाथ, तो अब क्यों मोहताज


हाइलाइट्स

पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं
उनका गुजारा बीसीसीआई की 30 हजार रु. की पेंशन से हो रहा
कांबली का चमकता टेस्ट करियर सिर्फ 2 साल में ही खत्म हो गया था

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में करीब-करीब एक ही समय दो ऐसे खिलाड़ियों ने दस्तक दी, जिन्होंने बेहद कम उम्र में ही अपने टैलेंट का लोहा मनवा दिया था. इन दोनों खिलाड़ियों को क्रिकेट के एक ही गुरु रमाकांत आचरेकर ने तराशा. करीब-करीब एक ही साथ इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया. हालांकि, दोनों का करियर काफी अलग रहा. एक आगे चलकर क्रिकेट का भगवान बना तो दूसरा जितनी तेजी से चमका, उतनी ही तेजी से उसकी चमक फीकी पड़ी. यह दो खिलाड़ी थे सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली. आज हम कांबली की बात कर रहे हैं. क्योंकि वो इन दिनों आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. कांबली बीसीसीआई की तरफ से मिलने वाली 30 हजार रुपये पेंशन के दम पर ही परिवार का गुजारा कर रहे हैं. उन्हें काम की तलाश है और वो इसके लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से भी गुहार लगा चुके हैं.

कभी भारतीय क्रिकेट के स्टार रहे विनोद कंबली की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. कांबली सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेले. उन्होंने सिनेमा, टीवी, कॉमेंट्री और सियासत हर जगह हाथ आजमाए. लेकिन, कभी स्थायी सफलता उन्हें नहीं मिली. कांबली का पूरा नाम विनोद गणपत कांबली है. उनका जन्म 18 जनवरी, 1972 को बॉम्बे (अब मुंबई) के इंदिरा नगर में हुआ था. उनके पिता गणपत पेशे से मैकेनिक थे और बड़ी मुश्किल से 7 लोगों के परिवार का पेट पालते थे. कांबली के पिता भी मुंबई में क्लब क्रिकेट खेला करते थे. वो तेज गेंदबाजी करते थे. हालांकि, उनके क्रिकेटर बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया.

सचिन के 3 साल बाद कांबली की टीम इंडिया में एंट्री
कांबली और सचिन तेंदुलकर ने मुंबई की मशहूर कांगा लीग में एकसाथ ही डेब्यू किया था. कांबली 17 और सचिन 16 साल के थे, जब दोनों ने स्कूल क्रिकेट में विश्व रिकॉर्ड बना डाला था. तेंदुलकर और कांबली ने शारदाश्रम स्कूल की तरफ से खेलते हुए 664 रन की रिकॉर्ड पार्टनरशिप की थी. कांबली ने इस दौरान नाबाद 349 रन बनाए थे. इस साझेदारी के बाद से तेंदुलकर और कांबली का नाम पहली बार चर्चा में आया था. इसके बाद, तेंदुलकर ने 1988 में रणजी में डेब्यू किया था, जबकि कांबली को ये मौका एक साल बाद 1989 में मिला. हालांकि, इसके बाद 1989 में सचिन ने टेस्ट डेब्यू कर लिया और इसके करीब 3 साल बाद कांबली की टीम इंडिया में एंट्री हुई.

भारत के लिए सबसे तेज 1 हजार टेस्ट रन बनाए
कांबली ने अपने टेस्ट करियर का धमाकेदार आगाज किया. उन्होंने पहले 7 टेस्ट में 4 शतक जड़कर सबको चौंका दिया था. उन 4 शतकों में लगातार 2 दोहरे शतक थे. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में वो कारनामा किया, जो सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली जैसे दिग्गज बल्लेबाज नहीं कर पाए. कांबली ने महज 14 पारियों में अपने 1 हजार टेस्ट रन पूरे किए. वो भारत की तरफ से टेस्ट में सबसे तेज एक हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं. उनका यह रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है. उनका यह रिकॉर्ड 28 साल से बरकरार है. हालांकि, कांबली जितनी तेजी से भारतीय क्रिकेट के सितारे बनकर उभरे, उतनी ही तेजी से उनकी चमक धुंधली पड़ने लगी. शॉर्ट गेंद और गली की तरफ बार-बार शॉट खेलने की उनकी कमजोरी को विऱोधी टीमों ने भांप लिया.

2 साल में ही टेस्ट करियर खत्म हो गया
उनके बल्ले से रन निकलने बंद हो गए. इस बीच, अनुशासनहीनता और मनमाने बर्ताव ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी. 23 साल की उम्र में महज 17 टेस्ट खेलने के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. जब उनकी भारतीय टीम से रवानगी हुई, तब उनका औसत 54 का था. टीम इंडिया में फिर कभी उनकी वापसी नहीं हो पाई. काबंली ने 8 नवंबर, 1995 को न्यूजीलैंड के खिलाफ कटक में अपना आखिरी टेस्ट खेला. यानी 2 साल में ही उनके टेस्ट करियर का ‘दि एंड’ हो गया.

2000 में आखिरी वनडे खेला था
टेस्ट टीम से बाहर होने का असर वनडे में भी उनके प्रदर्शन पर पड़ा. वो बार-बार वनडे टीम से अंदर-बाहर होते रहे. उन्होंने वनडे टीम में 9 बार कमबैक किया. अक्टूबर 2000 के बाद से उन्हें कभी भारतीय वनडे टीम में जगह नहीं मिली. उन्होंने 2009 में इंटरनेशनल और 2 साल बाद फर्स्ट क्लास क्रिकेट से भी संन्यास ले लिया.

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सिनेमा, सियासत में भी हाथ आजमाए
क्रिकेट से संन्यास के बाद कांबली ने सिनेमा का रुख किया. 2002 में संजय दत्त, सुनील शेट्टी स्टारर ‘अनर्थ’ फिल्म रिलीज हुई. इसमें विनोद कांबली थे. इसके बाद 2004 में मिस इंडिया और 2009 में कांबली ने पल-पल दिल के साथ नाम की फिल्म की. लेकिन, यह फिल्म भी दर्शकों का दिल नहीं जीत पाई. फिल्मी करियर में सफलता नहीं मिलने के बाद कांबली ने सियासत में हाथ आजमाए. वे 2009 में विक्रोली विधानसभा सीट से चुनाव लड़े. लेकिन, हार गए. कई बार उन्होंने सचिन पर मदद नहीं करने के आरोप भी लगाए. हालांकि, बाद में दोनों की दोस्ती फिर मजबूत हो गई. अपनी हालिया आर्थिक स्थिति को लेकर हाल ही में एक इंटरव्यू में कांबली ने कहा था कि सचिन तेंदुलकर को मेरे बारे में सब पता है. लेकिन, अब मैं उनसे कोई उम्मीद नहीं रखता.

Tags: Cricket news, Sachin tendulkar, Team india, Vinod Kambli

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